फिर हिंडोला, झूला, प्रीति झौंटा..
अभी
ग्रीष्म को ठौर न
मिला हैं... कब में इतनी
तपूँ की दयाबश मेघ
उमड़ घुमड़ बरस जाए....
फिर
हिंडोला, झूला, प्रीति झौंटा.... बौछार रस का... भीगी
गीली श्रिंगार की नवीन चित्रावली... बस
बस .. और ना कहो..
रजनी तो अभी खिली
है .. कली से फूल..
सुगंध झराना है अब ... श्याम-
गौर रति रस रंग
अभिसार.. शीतल बूँदे... झीलमिल
जगमग टपकन.. सराबोर करने को आतुर...
केली क्रीड़ा आनंद तो
रंगीली रसीली चिकनी सौरभित पंक बन गयी
री....
श्रीश्यामाश्याम
श्रीश्यामाश्याम
Shree Hit Matan
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