पिय निरखन मधु पान


*पिय निरखन मधु पान*

उम्मत प्रियतम के लोचन कमल कहीं  अनुराग रंजित रसातुर अधर कमल पंखुड़ी बन मधु पान तो नहीं कर  रही...
कंद की मिठास से लिपटे कर्पूर की शीतलता ओढ़े - लौंग इलाइची, पान के नवीन पत्तों से रंग चुराके... लालिमा भर दे उन कम्पित अधरों पर.. पिय के रसीली भाव की रंगीली स्पंदन ... पिया के सुगंधित मधु रस संग मिले... कनक श्यामल रस वपू पर चित्रावली अंकन करते करते... लहरते बलखाते.. माँझ-खमाज छेड़ते... कतरा कतरा रंग भर रहे हैं कण कण में... वृंद रेणू रेणु पर.. अहा सखी... निहार तो..

Shree Hit Matan



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